Sunday, February 5, 2012

हिना फिर आना लेकिन....

दिल अब भी हिनहिना रहा है। ऐसा लगता है कि आदमी न हुये घोड़ा हो गये या फिर घुड़दौड़ के जॉकी हो गये। जब से हिना जी भारत घुम कर गयी हैं, 100 करोड़ हिन्दुस्तानियों में से आधे तो जरूर हिनहिना चुके हैं। हफ्ता से ज्यादा होने जा रहा है लेकिन दिल की धुकधुकी से हिना का ख्याल नहीं जा रहा है। जनाब बिस्तर पर सोने गये तो भूल गये की बगल में भी पत्नी सोयी है। रात सपने में हिना का नाम बुदबुदाने लगे या फिर यूँ कहिये की हिनहिनाने लगे। पत्नी ने सुना तो सुबह तड़के उठकर हाथों में हिना सजा ली। जनाब के उठते ही मचल उठी की ऐ जी! देखो तो रंग कैसा चढ़ा है हिना का। बेचारे सर पकड़ कर बैठ गये, कैसे कहें कि ये हाथों की हिना नहीं दिल की धुकधुकी में बैठी हिना का रंग उनपर इस कदर चढ़ा हुआ है कि बता भी नहीं सकते।

बात अब छुपाये भी नहीं छुपने वाली जनाब। ये बात किससे छुपी है कि हिन्दुस्तान में अगर किसी को दोजख में भेजने की बददुआ देनी हो रेलगाड़ी की तरह पाकिस्तान भेजने की गाली दे डालते हैं। अब ये पाकिस्तान ने भी बड़ा गजब का पब्लिक डिप्लोमेसी खेला है कि जब से हिना को विदेशमंत्री बना कर भारत में भेजा है पूरा हिन्दुस्तान उन्हे जन्नत ही हूर, चश्मे बददुर बताने पर तुला हुआ है। उधर मोहतरमा कश्मीर और अलगाववादियों को तूल देने में लगी थी। और इधर हम उनपर पुरानी महबूबा की तरह दिल और जान लुटाये फिरते रहे।

यही नहीं विदेशमंत्री कृष्णा साहब ने जब से हाथ मिलाया है हिना से, पूरा हिन्दुस्तान उन्हे कोंसने पर तुला है। जिस किसी ने टेलीविजन पर ये तस्वीर देखी वही जानता है कि कृष्णा देर तक हिना का हाथ पकड़ हिला रहे थे, माफ किजियेगा हिनहिना रहे थे। जैसे बॉलीवुड का हीरो समझ कर गाना गा रहे हों- छोड़ेंगे न तेरा साथ ओ साजन सातो जनम तक। कृष्णा हाथ मिला रहे थे तो जनाब के दिल पर साँप लोट रहा था और पेट में घिरनी नाच रही थी। उसी वक्त एक मित्र ने जल- भुन कर फोन किया कि यार ! ये हिना लगता है कृष्णा से इम्प्रेस हो गयी है। काश! किसी ने बता दिया होता कि कृष्णा के सर पर बाल नहीं बिग है। हद है भाई! अच्छा है की हिना अपने पड़ोस में है, पता नहीं यहाँ होती तो क्या गुल खिलता।

इतना दर्द-ए-दिल दे दिया कि मन यही कहता है कि अच्छा हुआ हिना जो तुम वापस पाकिस्तान चली गयी। ओ हिना! फिर हिन्दुस्तान आना लेकिन इसबार सरहद की दीवार तोड़कर आना, कई दूसरी हिनाओं को लेकर आना और मुहब्बत का पैगाम लेकर आना। तबतक हम तुम्हारा इंतजार-ए-मुहब्बत करेंगे।
(पाकिस्तान की विदेशमंत्री हिना रब्बानी खार के स्वागत में लिखा गया पुराना लेख)

2 comments:

  1. मैं हूं खुश रंग हिना वाली तो चली गई ,पर इस वाली हिना ने तो रंग जमा दिया भारत में.यंहा तो कम उमर में कोई इतना बडा मंत्री बन ही नहीं सकता जी

    ReplyDelete
  2. खेल रच रहे यूरोप-अमेरिका के ख़ुफ़िया तंत्र,खिलाडी भारत-पाकिस्तान के राजनितिक. ताली बजाये (कुछ माथा पीटे) जन-जनार्दन.

    ReplyDelete