Thursday, July 21, 2011

सी.ए.ज़ी. की रिपोर्ट और नीतीशजी की चिंता


बिहार के वित्तीय हालात को दर्शाने वाली रिपोर्ट में - नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानि सी.ए.जी.- ने राज्य सरकार को आर्थिक लेखा- जोखा रखने के तौर तरीकों पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। एसी- डीसी बिल का जिन्न अब भी सरकार के गले की हड्डी बनी दिखाई देती है। कॉम्पट्रोलर ऐन्ड एकाउन्टेन्ट जनरल यानि सी.ए.जी. मार्च, 2010 तक खत्म होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए जो लेखा- जोखा का रिपोर्ट सौंपा है उसमें राज्य सरकार के लिए कई परेशान करने वाले तथ्य भी हैं। ये रिपोर्ट बिहार विधान मंडल के पटल पर रखा गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार मार्च, 2010 तक 407.97 करोड़ रूपये से जुड़े 1021 मामले अभी तक निपटारे के लिए लंबित है। रिपोर्ट के अनुसार मार्च, 2009 तक 58423 एसी बिल पर 14272 करोड़ रूपये की निकासी हुई परन्तु 2418 करोड़ रूपये के लिए 7435 डीसी बिल ही महालेखाकार को दिये गये। आश्चर्य की बात ये की राज्य सरकार के पारदर्शिता के दावे के बावजूद अक्टूबर, 2007 तक विभिन्न विभागों द्वारा दिये गये 4528 करोड़ रूपये के ऋण अनुदान संबंधी 21147 उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित थे। हालांकि सी.ए.जी. ने राज्य सरकार को राज्य के रिसोर्स से रेवेन्यू खर्च और रेवेन्यू जुटाने के प्रयास की प्रशंसा की है। वहीं सी.ए.जी. ने वेतन, पेंशन और ब्याज अदायगी में कुल बढ़ोत्तरी 55.77 प्रतिशत होने पर खिंचाई भी की है। सी.ए.जी. का कहना है कि 12 वित्त आयोग के निर्देशों के अनुसार गैर योजना मद में कुल खर्च 35 फीसदी से ज्यादा नहीं हो

नीतीश कुमार के काम के जज्बे और भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के बावजूद कई तरह की लापरवाही और मिलीभगत के संकेत भी सी.ए.जी. की रिपोर्ट में साफ तौर पर दिखाई देते हैं। बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री सेतु योजना के तहत 2007 से 2010 तक आवंटित 522 पुलों में से 404 का निर्माण किया। दरभंगा प्रमण्डल में बिना एकरारनामा किये काम किये जाने के कारण 12.13 करोड़ की हानी हुई। वहीं पुर्णिया के कप्तान पुल की निविदा में विलम्ब होने से 2.00 करोड़ एस्टीमेट में इजाफा हो गया। पुर्णिया के रेलवे ओवरब्रिज निर्माण में कांट्रेक्टर को 43.84 लाख अधिक पेमेंट करने और सुल्तानगंज रेलवे ओवरब्रिज कांट्रेक्टर से 0.80 लाख कम रिकवरी की बात भी सी.ए.जी. ने लापरवाही करार दिया है। वहीं लरझा घाट, समस्तीपुर, रसियारी घाट, दरभंगा में पुल निर्माण कार्य में बिना एस्टीमेंट घटाये कम क्वांटम के डिजाईन को स्वीकार किया जाने के कारण सरकार को 13.21 करोड़ का घाटा बताया गया है। बिहार राज्य विद्युत बोर्ड को विभिन्न मद में लगभग 11.31 करोड़ का घाटा हुआ है। इसमें टैरिफ प्रावधानों का अनुपालन न होने के कारण 5.21 करोड़ और भूमिगत केबल के अनावश्यक क्रय के कारण 3.35 करोड़ खास हैं। 2005 से 2010 के बीच राज्य में कुल सरकारी कंपनियाँ और सांविधिक निगमों की संख्या 65 हैं जिनमें 40 अकार्यशील कंपनियाँ हैं। सी.ए.जी. ने इसे बंद किये जाने की आवश्यकता जताई है। इस रिपोर्ट के अनुसार 2009-10 के दौरान सिर्फ 3 अकार्यशील कंपनियों ने वेतन, मजदूरी, स्थापना व्यय में 1.48 लाख खर्च किये हैं। अफसोस की बन्द और अकार्यशील कंपनियों के कर्मचारियों और संपत्ति का सरकार कही दूसरे विभाग या मद में समायोजन का प्रयास नहीं कर रही है।

बिहार सरकार का टोटल सैनिटेशन कैन्पेन सफल नहीं हो रहा है। 2005 से 2010 के बीच सिर्फ 24 फीसदी घरों में सैनिटेशन का लक्ष्य हासिल हुआ है जो सरकार के दावे से उलट है। वहीं बिहार के सिर्फ 66 प्रतिशत स्कुलों में ट्वायलेट की व्यवस्था 2005 से 2010 के बीच हो पाई है। सैनिटेशन प्रोजेक्ट के सही ढंग से मोनिटरिंग नहीं किये जाने की बात सी.ए.जी. ने की है। सी.ए.जी. के स्कुलों की व्यवस्था पर भी चिंता जाहिर की है। कई जगहों पर 70 से 400 छात्रों के लिये एक कमरे का स्कुल है। सी.ए.जी. ने निरीक्षण के दौरान एक कमरे वाले ऐसे 139 स्कुलों को पाया। शिक्षकों की भारी कमी की ओर भी इशारा किया गया है। 1985 के पहले खुले प्रोजेक्ट बालिका विद्यालयों की जाँच के दौरान सी.ए.जी. 22 स्कुलों में गई और पाया कि एक स्कुल में 9 शिक्षक हैं तो चार स्कुल में एक भी छात्र नहीं है। आश्चर्य व्यक्त किया कि 141 से 741 छात्रों के लिये एक भी शिक्षक नहीं है। इस पर सी.ए.जी. ने टिप्पणी की है कि स्कुलों का प्रोपर इन्सपेक्शन नहीं किया जाता है। बिहार के जेलों में सुरक्षाकर्मियों, मेडिकल और टेक्निकल स्टाफ के बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं। जेलों में विडियों लिंकेज सिस्टम की स्थापना के लिये आवंटित 6.23 करोड़ की राशि का उपयोग नहीं हुआ है। खास बात की 15 जेलों से जुड़े 518 कस्टडियल डेथ के मामले में 28 की मजिस्ट्रेट जाँच की रिपोर्ट एन.एच.आर.सी. को भेजी तक नहीं गई है। सी.ए.जी. ने स्पष्ट लिखा है कि बिहार के जेलों में आई.जी. और डी.एम. उपयुक्त संख्या में इन्सपेक्शन नहीं करते हैं....वहीं इस विभाग में को इंटरनल ऑडिट विंग नहीं है। जल संसाधन विभाग के मामले में सी.ए.जी. की एक टिप्पणी मजेदार है कि भारत सरकार के निर्देशों के गलत इंटरप्रेटेशन से राज्य सरकार को 1.49 करोड़ का घाटा हुआ है। ये मामला कमान्ड एरिया डेवलपमेंट और वाटर मैनेजमेंट प्रोग्राम में केन्द्र और राज्य के बीच 50-50 प्रतिशत की राशि शेयर करनी है साथ ही लाभान्वित किसानों से 10 फीसदी राशि की वसूली की बात थी। वहीं उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के वन एवं पर्यावरण विभाग पर भी गंभीर टिप्पणी है। सी.ए.जी. कहती है कि राज्य ने अभी तक अपनी कोई वन नीति जाहिर नहीं की है वहीं 22 में से 20 फॉरेस्ट डिविजन बिना किसी वर्किंग प्लान के चल रहे हैं। वहीं 2010 में सहरसा फोरेस्ट डिविजन में 13.96 लाख के फ्रॉड पेमेंट की बात भी की गई है जो बिना वृक्षारोपण के किया गया। इस तरह सी.ए.जी. की रिपोर्ट में सभी विभागों में गलत निकासी, मिलीभगत से राशि गबन करने, फर्जी काम कराने के मामले भरे परे हैं। यानि नितीश कुमार के कार्यप्रणाली और संस्कृति पर ही सी.ए.जी. ने सवाल उठा दिया है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तेवर प्रशासनिक चुस्ती को लेकर काफी सख्त है और भ्रष्टाचार के मामले पर तो बिहार सरकार ने राज्य भर में मुहिम छेड़ रखा है। पर लगता है कि मुख्यमंत्री वाकई लालफीताशाही के शिकार हो गये हैं। जिला और प्रखंड स्तर के प्रशासनिक पदाधिकारियों और कर्मचारियों में मुख्यमंत्री जी की कवायद और तेवर का असर बहुत नहीं दिखता है। इस पूरे रिपोर्ट में नीतीश सरकार के काम के जज्बे के बीच कई तरह की लापरवाही और मिलीभगत के संकेत भी साफ तौर पर दिखाई देते हैं। इससे दलालों, ठेकेदारों और अधिकारियों के बीच गठजोड़ की बात भी स्पष्ट जाहिर होती है जो नीतीश सरकार के लिये बदनुमा दाग की तरह है। देखना होगा की राज्य सरकार अपने लेखा- जोखा में पारदर्शिता कैसे ला पाती है। लेकिन इस पूरे रिपोर्ट ने बिहार में विपक्ष को एक मुद्दा दे दिया है तो राज्य की जनता भी सब देख- सुन और जान रही है ऐसे में सी.ए.जी. ने जो सवाल उठाये हैं वो सिर्फ कागजी चिटठा भर नहीं है पर राज्य की आर्थिक हालात और जमीनी हकीकत का काला चिटठा भी है / जाहिर है की सी.ए.ज़ी. ने राज्य के आर्थिक हालत की एक बानगी यानि तस्वीर भर पेश की है लेकिन नीतीश कुमार के लिए ये राजनीतिक चिंता पैदा करने वाली बात है।

8 comments:

  1. Very well written Nikhil ! The inputs are very informative.

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  2. बहुत ही सटीक और कसावट भरा लेख है नीतिश कुमार को प्र्शासन को कसना ही होगा

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  3. JAI MATA DI,
    WE APPRECIATE UR ARTICLE.

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  4. Very good.These reports should reach the common people so that they can know the realities.Thanks to Nikhilji.

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  5. नीतीश कुमार को अभी समय लगेगा ,मगर इतने प्रयासों के बाद भी लालफीताशाही पर अंकुश नहीं लग रहा .........कही तो कुछ कमी है इसे पूरा तो करना ही होगा

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  6. Jab tak ek kathor aur kargaar law inforce nahi hogi aapki chavi ka savi fayda uthaynge... Nitish ji ke saath v yahi baat hai..one fine politician who want to do good but the system dosen't allow.. get Chaprasi to CM in some Judicial anti corruption law, the BDO to will follow your line of action, har ek ka karya transparent hona chaiyeh.. tab dekhte hain kaise nahi badlega.. aisa nahi hai ki sirf sarkari karmchari hi doshi hai woh v usi Samaj ka hissa hai jo bahut haad tak corrupt ho chuka hai... need strong Lokpal bill...!!

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