इस तीन शब्द की बात करना जितना आसान है उतना ही कठिन है इसे अपने पसंद के साथी से कह देना। ये कॉन्टेक्स्ट जाहिर सी बात है की पोपुलर टर्म में ब्वायज ऐन्ड गर्ल्स के बीच का ही है। लेकिन अब ऐसा पूरी तौर पर नहीं है की लव मिन्स देअर विल ऑलवेज बी ए ब्वाय एन्ड ए गर्ल। सो इन दिस एरा ऑफ ग्लोबलाईजेशन व्हेन वी टॉक एबाउट लव इट्स नॉट नेसेसरी दैट इट इज गोइंग टू बी ए प्लस एन्ड ए माइनस कनेक्शन। ट्वेन्टी फर्स्ट सेन्चुरी में लव के होराईजन का अब काफी एक्सपेन्शन हो गया है और इसके कई आयाम डेवलप हो गये हैं। लाईक फोर एक्जाम्पल- यूनिपोलर, सेमिपोलर, मल्टीपोलर, मल्टीडॉयमेन्सनल, प्लस- प्लस, माईनस- माईनस ।
भाई सच- सच कहूँ तो ये लव प्योर मैथेमेटिक्स है जो बेस्ड है टाईम, सिचुएशन और डिस्टेन्स पर। ये पूरा का पूरा एक अलज़बरा के अनसाल्वड इक्वेशन की तरह है। मोड और मेथोडोलॉजी क्या अप्लाई करते हैं बहुत मायने रखता है। फिर रिजल्ट क्या होगा ये भी अनसर्टेन है। लाख दिमाग लगाइये इक्वेशन साल्व नहीं होगा और कोई इसे बस चुटकी में सॉल्व कर देगा कि आप दंग रह जायेंगे। ये पर्सन टू पर्सन वैरी भी करता है। कोई अपने लव इक्वेशन को 1+1= 2 बनाता है, कोई 1+1= 11 बनाता है तो कोई 9 और 2, 11 हो जाता है। यानि समटाईम इट्स इजी येट अनसॉल्व्ड, समटाईम टफ बट इजी गोइंग, समटाईम इजी लूकिंग बट टफ गोइंग और समटाईम इट्स वेरी- वेरी कॉम्पलीकेटेड।
जब बात तीन शब्द की हो रही है तो कोई मतलब नहीं अगर इसे मौका रहते कहा नहीं। लेकिन ये कहना भी इतना आसान है क्या और कह भी दिया तो क्या गारंटी की प्रोपोजल ऐक्सेप्ट हो जाय। लव हुआ नहीं की दिनभर बेचैनी का आलम, रातों को नींद नहीं, भूख नहीं लगता और फिर भीड़ में भी अकेलापन- ये सारे हेल्दी एक्सपीरियेंस हैं लव के जो सभी ने बॉलीवुड फिल्मों में भी सुना- देखा होगा। किसी ने तीन शब्द कहने के लिये क्यों, कहाँ, कब और कैसे सोचते- सोचते जिन्दगी अफसोस में गुजार दी। तो किसी ने हिम्मत जुटाई और कह दिया फिर वो सब पा लिया जो सपने में भी नहीं सोचा था। इसीलिये तो कहते हैं कि प्यार जितनी बड़ी चीज है उससे बड़ी बात है इज़हार करना।
(I-Next; 28 October, 2011)
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